हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "महासिन" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قَالَ لَهُ رَجُلٌ إِنِّي ضَعِيفُ الْعَمَلِ قَلِيلُ الصَّلَاةِ قَلِيلُ الصَّوْمِ وَ لَكِنْ أَرْجُو أَنْ لَا آكُلَ إِلَّا حَلَالًا وَ لَا أَنْكَحَ إِلَّا حَلَالًا فَقَالَ وَ أَيُّ جِهَادٍ أَفْضَلُ مِنْ عِفَّةِ بَطْنٍ وَ فَرْجٍ
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अलैहिस्सलाम की खिदमत में एक आदमी ने अर्ज़ किया, मैं अमल अंजाम देने में असमर्थ हूं।नमाज़ और रोज़ा कम अंजाम देता हूं,लेकिन कोशिश करता है कि सिर्फ हलाल खाओ और हलाल के सिवा किसी से निकाह ना करूं!!तो हज़रत ने इसके जवाब में फरमाया पेट और शर्मगाह को पाक रखने से अफज़ल जिहाद और क्या हो सकता हैं?
महासिन,पेंज 292,हदीस 448